ऐसे फैल रहा है खतरनाक निपाह वायरस, भूलकर भी न खाएं यह फल

Health National
This is the cause of spreading dangerous virus NiPah

New Delhi:LGN: फल सेहत के लिए अच्छे होते हैं। लेकिन क्या आप को पता है कि फलों को खरीदने और उन्हें खाने के दौरान जरा सी लापरवाही महंगी पड़ सकती है। इस समय पूरे देश में निपाह वायरस की दहशत फैली हूई है। निपाह वायरस का सबसे बड़ा खतरा अब फलों से भी पैदा हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर निर्देश जारी किए हैं। इनमें कहा गया है कि पेड़ से गिरे हुए, कटे या फटे फलों को खाने से निपाह वायरस का खतरा हो सकता है। फलों को निपाह वायरस से पीड़ित चमगादड़ द्वारा चाटा या खाया गया हो सकता है।
देश मे अल्ग-अल्ग राज्यों में स्वास्थ्य विभाग ने सभी स्कूलों सहित लोक निर्माण विभाग, आइपीएच, पशुपालन विभाग सहित अन्य सभी विभागों में अलर्ट जारी कर दिया है।

दिमाग पर अटैक करता है निपाह
निपाह वायरस के लक्षण दिमागी बुखार की तरह ही हैं। बीमारी की शुरुआत सांस लेने में दिक्‍कत, चक्कर आना, तेज सिरदर्द और फिर बुखार से होती है है। इसके बाद बुखार दिमाग तक पहुंच जाता है। इससे व्यक्ति बेसुद होना शुरू हो जाता है। जिससे मरीज की मौत भी हो सकती है।

क्‍या है निपाह वायरस?
विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) के मुताबिक निपाह एक ऐसा वायरस है जो चमगादड़ों से इंसानों में फैलता है। यह जानवरों और इंसानों दोनों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। इस वायरस का मुख्‍य स्रोत फल खाने वाले चमगादड़ (फ्रूट बैट) हैं। इन्हें फ्लाइंग फॉक्स के नाम से भी जाना जाता है।

निपाह वायरस के लक्षण
हालांकि, अब तक इस भयानक निपाह वायरस का कोई वैक्‍सीन नहीं बन पाया है। बचाव ही इसका एकमात्र इलाज है। इससे संक्रमित रोगी की उचित देखभाल और डॉक्‍टरों की कड़ी निगरानी में रखा जाना चाहिए।

लाइलाज है निपाह
इस वायरस का वर्तमान में कोई इलाज नहीं है। अन्य वायरस की तरह इसकी अभी कोई वैक्सीन नहीं बनी है। ऐसे में निपाह वायरस से बचाव में ही बचाव है। इसी चपेट में आने के बाद बचने के केवल तीस प्रतिशत चांस होते हैं।

सबसे पहले मलेशिया में मिला था निपाह का वायरस
निपाह की सबसे पहले पहचान 1998 में मलेशिया के निपाह इलाके में हुई थी। यह बीमारी चमगादड़ों से इंसानों और जानवरों तक में फैल गई थी। 2001 में बांग्लादेश में भी इस वायरस के मामले सामने आए थे।

निपाह वायरस से कैसे बचें?

  • केरल सहित उसके पड़ोसी राज्यों से आने वाले फल जैसे केला, आम और खजूर खाने से परहेज करें
  • चमगादड़ों की लार या पेशाब के संपर्क में न आएं
  • खासकर पेड़ से गिरे फलों को खाने से बचें
  • संक्रमित इंसानों और पशुओं खासकर सुअरों के संपर्क में न आएं
  • निपाह वायरस के अधिक प्रभाव वाले इलाकों में जाने से बचें
  • इस्तेमाल में नहीं लाए जा रहे कुओं पर जानें से बचें
  • फलों को पोटाश वाले पानी में धोकर खाएं
  • निपाह वायरस के लक्षण पाए जाने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं

निपाह वारयस के मुख्य कारण चमगादड़ नहीं : रिपोर्ट
हाल ही में निपाह वायरस के आंतक से न सिर्फ लोग सदमे में हैं, बल्कि इस वायरस की चपेट में आने से अब तक करीब 12 लोगों की मौत हो गई है। निपाह वायरस को लेकर पहले यह बात सामने आ रही थी कि चमगादड़ से ही इसके वायरस फैल रहे हैं, मगर अब जांच में यह सामने आया है कि निपाह वायरस का मुख्य कारण चमगादड़ नहीं है। शुक्रवार को अधिकारियों ने निपाह वायरस के फैलने के पीछे चमगादड़ के होने की बात से इनकार कर दिया है।
भोपाल में उच्च सुरक्षा पशु रोग प्रयोगशाला में चमगादड़ और सूअरों के कुल 21 नमूने भेजे गए थे, लेकिन शुक्रवार की देर शाम देर प्राप्त परिणामों के मुताबिक सभी नेगेटिव पाये गये। इस सप्ताह के शुरू में केंद्रीय पशुपालन आयुक्त एसपी सुरेश की अगुआई वाली एक टीम ने प्रभावित क्षेत्रों में जानवरों की जांच के बाद कहा कि जानवरों में निपाह वायरस की किसी तरह के घटना की पहचान नहीं हुई है और इस वायरस से सिर्फ इंसान प्रभावित हुए हैं।
बताया जा रहा है कि NiPah virus (NiV) का ट्रांसमिशन संक्रमित चमगादड़, सूअर या अन्य एनआईवी संक्रमित लोगों से सीधे संपर्क में आने से होता है। मगर जो परिणाम सामने आए हैं, उससे इस बात की पुष्टि होती है कि यह निपाह वायरस चमगादड़ों से नहीं आया है। इसलिए अधिकारियों ने प्रभावित इलाकों को मद्देनजर रखते हुए और जांच करने का फैसला किया है।