New delhi:LGN: पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में उछाल के बाद प्राकृतिक गैस की कीमतों बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। ट्रेड वॉर और गहरी होने के बाद चीन और यूरोपियन देश अमरीका की कुदरती गैस पर भारी आयात टैकस लगा सकते हैं, इस के साथ गैस की कीमतों में भी भारी उछाल आने का ख़तरा है।
‘ब्लूमबर्ग’ की रिपोर्ट के अनुसार चीन पर अमरीका के 34 अरब डालर के आयात टैकस लागू होने के बाद ही चीन की तरफ से जैसे को तैसा कार्यवाई दौरान अमरीकी ऐलऐनजी को निशाना बनाऐ जाने की संभावनाएं पैदा हो गई हैं। इस के साथ दुनिया में प्राकृतिक गैस का सब से बड़ा आयातक का सपना देख रहे अमरीका को ही झटका नहीं लगेगा, बल्कि विशव की स्पलाई भी प्रभावित होगी। स्टील और एलुमिनियम पर अमरीकी आयात टैकस बढ़ने साथ रूस से यूरोप को गैस की स्पलाई का पाइपलाइन प्रोजैक्ट भी संकट में पड़ गया है।
प्राकृतिक गैस के साथ जुड़े एनर्जी ऑस्पेकट्स के खोज प्रमुख ट्रेवर सिकोरसकी ने कहा है कि प्राकृतिक गैस की मांग बहुत तेज़ी के साथ बढ़ रही है परन्तु स्पलाई संकट में है। उन्होंने कहा कि अगर गैस के सब से बड़े उपभोक्ता चीन अब अमरीकी गैस पर पाबंदी लगाता है, तो कारोबारियों को आस्ट्रेलियाई गैस जापान—दक्षिण कोरिया के रास्ते चीन तक पहुंचानी पड़ेगी। इस में समय भी अधिक लगेगा और लागत भी ज़्यादा आयेगी।
वुड्ड मेकेंजी के विशलेशक निकोलस ब्राऊनी ने कहा कि अगर कतर से यूरोप को स्पलाई में रुकावट आती है, तो उसे यह गैस नाइजीरिया और अंगोला से मंगवानी पड़ेगी। इसी लिए लागत में वृद्धि का प्रभाव उपभोक्तायों पर ही पड़ेगा। अमरीकी प्रतिबंधों के डर से आस्ट्रेलिया, कतर जैसे बड़े उत्पादक देशों ने दूसरे देशों में अपने प्रोजेक्ट पर पुन:विचार शुरू कर दिया है। अमरीकी कंपनियां भी गैस क्षेत्र में निवेश करने से हिचक्चा रही हैं।
दुनिया में ऐलऐनजी का सब से बड़ा आयातक कतर भी संकट में है। बाज़ार में कीमतों को बिगाड़ने के आरोप में उसके ख़िलाफ़ जांच चल रही है और उस पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।