Mumbai:LGN: क्रूड आयल 3.5 साल की ऊंचाई पर है। गोल्डमैन साक्स को जल्द ही ब्रेंट का दाम 82.50 डॉलर जाने का भरोसा है। वहीं यूबीएस ग्रुप ने क्रूड को इस साल 80 डॉलर तक जाने की उम्मीद जताई है। इन सबके ऊपर बैंक ऑफ अमेरिका ने क्रूड को अगले साल तक 100 डॉलर तक जाने का अनुमान दिया है।पिछले सोमवार को तेल की क़ीमत 70 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गई। विशेषज्ञयों का मानना है कि अमेरिका का ईरान परमाणु समझौते से अलग होना और तेहरान को अधिक कच्चा तेल निर्यात करने की अनुमति मिलना इसका मुख्य कारण है। इस के साथ ही ओपेक की प्रोडक्शन कटौती से भी कच्चे तेल को सपोर्ट मिला है। वहीं एनर्जी इंफोर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन ने कच्चे तेल पर अनुमान बढ़ाया है। कच्चे तेल पर यूएस ने 2018 में ब्रेंट का औसत भाव 70.68 डॉलर बढ़त की संभावनाएं जताई है यानि अप्रैल के अनुमान से औसतन कच्चे तेल के भाव 11.6 फीसदी बढ़ाया गया है।
क्रूड में तेजी ग्लोबल पोलिटिक्स का नतीजा
बता दें कि मंहगे क्रूड के लिए ओपेक सहित ग्लोबल पोलिटिक्स जिम्मेदार है। ओपेक पिछले 2 साल से उत्पादन घटा रहा है जबकि ग्लोबल पोलिटिक्स से भी क्रूड की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है। वहीं ईरान पर यूएस की पाबंदी से 5 लाख बैरल सप्लाई घट सकती है।
एनआरआई बांड जारी कर सकता है रिजर्व बैंक
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ने वाले असर को संभालने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक आगे आया है। आरबीआई 30 से 35 अरब डॉलर के एनआरआई बांड जारी करने की योजना बना रहा है। विशेषज्ञयों का मानना है कि एेसा करने से आयात कवर को संतोषजनक स्तर पर रखा जा सकेगा। शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक को 30 से 35 अरब डॉलर के एनआरआई बांड जारी करने चाहिए क्योंकि कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से चालू वित्त वर्ष में आयात कवर घटकर 9.6 महीने रह जाएगा। प्रस्तावित एनआरआई बांड यदि जारी किए जाते हैं तो यह इसकी चौथी किस्त होंगे। इससे विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत किया जा सकेगा और तेल की ऊंची कीमतों से रुपये को प्रभावित होने से बचाया जा सकेगा।