New Delhi:LGN: कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो को भारत आए दो दिन से ज़्यादा का समय बीत चुका है। उन का यह दौरा अधिकारिक दौरा कम और घूमने -फिरने का टूर ज़्यादा लग रहा है। अक्सर दूसरे देशों के नेतायों के साथ आगे बढ़ कर गले मिलने वाले प्रधान मंत्री मोदी अभी तक उन को नहीं मिले। दिल्ली के इलावा आगरा, अहमदाबाद और मुंबई में केंद्र या राज्य सरकार का कोई बड़ा प्रतिनिधी ट्रूडो के साथ नज़र नहीं आया।
17 फरवरी को भारत पहुंचे प्रधान मंत्री ट्रूडो के स्वागत के लिए कृषि राज्य मंत्री गजेंदर सिंह शेखावत को भेजा गया। रविवार को ट्रूडो जब आगरा गए तो वहां के मुख्य मंत्री योगी अदित्यनाथ भी नज़र नहीं आए। अहमदाबाद में एयरपोर्ट पर गुजरात के मुख्य मंत्री के साथ मुलाकात तो हुई परन्तु सिर्फ़ लोगों के लिए। सभी बातें को पीछे छोड़ते हुए 21 फरवरी को अमृतसर में पंजाब के मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ट्रूडो को मिलने आए हैं। 23 फरवरी को ट्रूडो की प्रधान मंत्री मोदी के साथ मुलाकात होगी।
सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि कनाडा के प्रधान मंत्री की मेज़बानी में जानबूझ कर तो ऐसा नहीं किया जा रहा? यह भी बातें हो रही हैं कि खालिस्तान के मुद्दे पर प्रधान मंत्री ट्रूडो और उन के कई नेतायों का नज़रिया भारत को अच्छा नहीं लगता। गत वर्ष कनाडा में गर्मदलियों का समर्थन करने वाले Toronto के गुरुद्वारा साहब की ओर से निकाली गई खालसा डे परेड में ट्रूडो शामिल हुए थे। इतना ही नहीं इस परेड में उस नेता का सम्मान भी हुआ था, जिस ने 1984 सिख दंगों में भारत को दोषी बताने का संकल्प वहां की विधान सभा में रखा था।