New Delhi:LGN: 3 साल पहले इराक में लापता हुए 39 भारतीयों की खोज में जुटे Former Army Chief और Union Minister General VK Singh को बदूश शहर में कुछ टीलों के बारे में इनपुट मिला था, जहां कुछ दबा होने की आशंका जताई जा रही थी। जिसके बाद इन टीलों को खोदने का फैसला लिया गया। VK Singh की अगुवाई में भारतीय टीम और इराकी सैनिकों ने 2014 के बाद आईएस के कब्जे में रहे पीड़ितों के बचे हुए अवशेषों को तलाशने के लिए ये खुदाई की। बता दें कि इसी समय के दौरान आईएस ने इराक और सीरिया के महत्वपूर्ण इलाकों पर अपना कब्जा जमाना शुरू कर दिया था।
जनरल वीके सिंह के अनुसार खुदाई शुरू करने के बाद उन्हें वहां से एक कड़ा और लंबे बालों का गुच्छा हाथ लगा। ये चीजें इस बात की गवाही दे रही थी कि वे लोग पंजाब के सकते हैं, लेकिन ये स्पष्ट नहीं था कि वहां पर दफन कितने लोग हो सकते हैं।’
खुदाई आगे बढ़ी तो मानव अवशेष मिलने लगे। इस खुदाई में सबसे पहले पहचान भारतीय पंजाब के संदीप कुमार के रूप में हूई। वहीं बगदाद फोरेंसिक लैबोरेट्रीज को भारत सरकार द्वारा भेजे गए डीएनए सैंपल से मिलान के साथ अन्य शवों की पहचान शुरू हुई और सभी भारतीयों के शवों की पहचान होने के बाद उनके परिवारों को इस बारे में जानकारी देने का फैसला लिया गया।
बता दें कि जून 2014 में, भारतीय अधिकारियों का इराक में मौजूद 40 कंस्ट्रक्शन मजूदरों से संपर्क टूट गया था। इन मजदूरें में से ज्यादातर पंजाब के रहने वाले थे और इराक के मोसुल में एक सरकारी इमारत के निर्माण कार्य में लगे हुए थे। इनके साथ कुछ बांग्लादेशी मजदूरों को भी आईएस ने अगवा कर लिया था। बाद में आईएस ने 55 बांग्लादेशियों को रिहा कर दिया और भीरतीय मजदूरों का गोलियां मार कर कत्ल कर दिया गया, जबकि एक भारतीय वर्कर जिसका नाम हरजीत मसीह है किसी तरह वहां से भागने में सफल रहा, जिसने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से संपर्क किया और भारतीय मजदूरों के आईएस द्वारा कत्ल किए जाने की बात कही थी। हालांकि मसीह की कहानी को शुरू में भारत सरकार ने स्वीकार नहीं किया थाा। सरकार का दावा था कि उन्हें 39 भारतीयों के जीवित होने की जानकारी मिली है।