Chandigarh:LGN: ब्यास में प्रदूषण के मामले पर पंजाब सरकार की ओर से टालमटोल का रवैया अख्तियार कर लिया गया है। गौरतलब है कि मंगलवार को पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने रिपोर्ट सबमिट करनी थी लेकिन देर शाम तक रिपोर्ट सबमिट नहीं हुई। वहीं पर्यावरण मंत्री ओ.पी. सोनी ने सीधे तौर पर रिपोर्ट सबमिट होने के संबंध में इंकार कर दिया। बता दें कि पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर ने इस मामले में सीधे हस्तक्षेप किया है और मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह को पूरे मामले का विस्तृत ब्यौरा देने को कहा है। आलम यह है कि ब्यास मामले में पंजाब सरकार का यह ढुलमुल रवैया रिपोर्ट तक ही सीमित नहीं है, इससे पहले एफआईआर दर्ज करने में भी सरकारी तंत्र टालमटोल करता रहा है। जिस के चलते वन्यजीव विभाग ने मजबूरीवश सीधे कोर्ट का रुख किया है।
सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट तो तैयार कर ली गई है लेकिन अब तक इसे सबमिट नहीं करवाया गया है। बताया जा रहा है कि जब मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह चंडीगढ़ लौटेंगे तो रिपोर्ट उन्हें ही सबमिट की जाएगी।
रिपोर्ट सबिमट करवाने में देरी का मुख्य कारन
सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट सबिमट करवाने में देरी इसलिए भी है, क्योंकि चड्ढा शूगर मिल की मालकिन जसदीप कौर चड्ढा हरविंद्र सिंह सरना की बेटी है औऱ हरविंद्र सिंह सरना दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान परमजीत सिंह सरना के भाई हैं। परमजीत सिंह सरना कै. अमरेंद्र सिंह के काफी करीबी हैं। यह भी बता दें कि सरना व उनके भाई की मंत्री ओ.पी. सोनी से भी इस मामले में मुलाकात भी हो चुकी है। हालांकि मुख्यमंत्री कार्यालय बुधवार को रिपोर्ट की समीक्षा करेगा। वहीं वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो बुधवार को सिंचाई विभाग, वन एवं वन्यजीव विभाग, कृषि विभाग, उद्योग विभाग सहित कई विभागों के उच्चाधिकारियों की बैठक होने वाली है। बैठक में रिपोर्ट पर चर्चा की जाएगी, जिसका ब्यौरा मुख्यमंत्री को दिया जाएगा। इसके बाद मुख्यमंत्री रिपोर्ट पर अगली कार्रवाई करेंगे। साथ ही मामले का पूरा ब्यौरा राज्यपाल को भेजा जाएगा।
एन्वायरमैंट प्रोटैक्शन एक्ट व द वाटर एक्ट के तहत हो सकती है कार्रवाई
सूत्रों के मुताबिक पर्यावरण विभाग इस मामले पर फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है, क्योंकि यह मामला पर्यावरण कानून के अंतर्गत आता है। बता दें कि रिपोर्ट के आधार पर ही किसी कार्रवाई को अमल में लाया जा सकता है। अगर रिपोर्ट मिल के खिलाप जाती है तो चड्ढा शूगर मिल के खिलाफ एन्वायरमैंट प्रोटैक्शन एक्ट,1986 व द वाटर (प्रीवैंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट, 1974 के तहत कार्रवाई हो सकती है।